
नंदिनी कृषक समृद्धि योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और उनकी आय बढ़ाने में मदद करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस योजना को लॉन्च किया गया है ताकि डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा मिले और किसान पशुपालन से अधिक लाभ कमा सकें। इस योजना के तहत सरकार किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल की गायों की खरीद में वित्तीय सहायता देती है।
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उत्तर प्रदेश सरकार की नंदिनी कृषक समृद्धि योजना डेयरी क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे जहां किसानों की आय में वृद्धि होगी, वहीं उच्च नस्लों के प्रचार-प्रसार से प्रदेश में गुणवत्ता युक्त दूध उत्पादन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया गया तो यह आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में भी एक अहम कदम साबित हो सकता है।
योजना का उद्देश्य और महत्व
उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन की दर अपेक्षाकृत कम रही है, जिसका एक बड़ा कारण दुधारू पशुओं की गुणवत्ता में कमी है। इस समस्या से निपटने के लिए नंदिनी कृषक समृद्धि योजना (Nandini Krishak Samriddhi Yojana) की शुरुआत की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगातीरी जैसी उन्नत नस्लों को बढ़ावा देना है। इन नस्लों से न केवल दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी बल्कि किसानों की आमदनी भी दोगुनी करने के लक्ष्य के करीब पहुंचा जा सकेगा।
योजना के अंतर्गत मिलने वाली सब्सिडी
इस योजना के अंतर्गत डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए 62.5 लाख रुपये की अनुमानित लागत में से सरकार 50% सब्सिडी देती है। यानी कि प्रति लाभार्थी अधिकतम 31.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिल सकती है। यह योजना उन किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो डेयरी उद्योग में कदम रखने या उसे विस्तार देने की योजना बना रहे हैं।
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योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया और चरण
- नंदिनी कृषक समृद्धि योजना को तीन चरणों में लागू किया जाता है:
- पहला चरण: डेयरी यूनिट के निर्माण के लिए कुल लागत का 25% सब्सिडी।
- दूसरा चरण: दुधारू गायों की खरीद, उनके तीन साल के बीमा, और परिवहन लागत के लिए 12.5% सब्सिडी।
- तीसरा चरण: परियोजना लागत का शेष 12.5% भाग सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है।
- इस संरचित प्रक्रिया से लाभार्थियों को योजना का पूरा लाभ लेने में सुविधा होती है।
पात्रता और आवश्यक शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ आवश्यक पात्रताएं निर्धारित की गई हैं:
- आवेदक के पास कम से कम 3 वर्षों का पशुपालन का अनुभव होना अनिवार्य है।
- गायों की ईयर टैगिंग (Ear Tagging) अनिवार्य है ताकि उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके।
- डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए न्यूनतम 0.5 एकड़ भूमि और हरे चारे के लिए 1.5 एकड़ भूमि होनी चाहिए।
- योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को पहचान प्रमाण, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, पासपोर्ट साइज फोटो और आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर देना अनिवार्य है।
योजना का भूगोल और चयन प्रक्रिया
योजना का प्रारंभिक कार्यान्वयन राज्य के दस संभागीय मुख्यालयों – अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा और बरेली – में किया गया है। पात्र आवेदकों का चयन मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा ई-लॉटरी (e-lottery) के माध्यम से किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
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आवेदन प्रक्रिया
किसान इस योजना के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए पशुपालन विभाग की वेबसाइट पर आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, साथ ही जिला स्तर पर कार्यालयों में भी सहायता प्राप्त की जा सकती है। आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद चयनित लाभार्थियों को योजना के अंतर्गत सहायता प्रदान की जाती है।
योजना का व्यापक प्रभाव
नंदिनी कृषक समृद्धि योजना न केवल डेयरी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही है। इससे किसानों को स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं और राज्य के दूध उत्पादन में वृद्धि हो रही है। यह योजना रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) आधारित फार्मिंग को भी प्रेरित कर सकती है, अगर इसे सौर ऊर्जा या अन्य टिकाऊ विकल्पों से जोड़ा जाए।