
आगामी वित्त वर्ष से पहले केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो देश की कल्याणकारी योजनाओं के भविष्य को दिशा देने वाला साबित हो सकता है। सरकार इस बार सभी केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की समग्र समीक्षा करने जा रही है, जिसमें फंड्स के उपयोग, योजनाओं के प्रभाव और खर्च की गुणवत्ता जैसे अहम पैरामीटर्स पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह रिव्यू प्रक्रिया हर पांच साल में नए वित्त आयोग की नियुक्ति से पूर्व होती है, ताकि अनावश्यक योजनाओं को समाप्त कर फंड्स का अनुकूलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
रिन्यूअल की राह पर सरकारी योजनाएं: खर्च, परिणाम और प्रदर्शन पर फोकस
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस व्यापक रिव्यू के ज़रिए यह जानने की कोशिश करेगी कि क्या योजनाएं अपने मूल उद्देश्यों को हासिल कर रही हैं या नहीं, और क्या ये किसी राज्य-स्तरीय स्कीम्स के साथ ओवरलैप कर रही हैं। खासतौर पर छोटी योजनाओं को आपस में मर्ज करने या उन्हें चरणबद्ध तरीके से बंद करने की संभावना पर भी विचार किया जाएगा। इसके साथ ही, यह मूल्यांकन इस बात पर भी केंद्रित होगा कि इन योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्यों का प्रदर्शन कैसा रहा है।
व्यय विभाग ने इस समीक्षा प्रक्रिया के तहत नोडल मंत्रालयों से सुझाव भी मांगे हैं, ताकि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को और अधिक असरदार बनाया जा सके। इस पूरी कवायद का उद्देश्य है कि केंद्र सरकार की ओर से चल रही योजनाएं ज्यादा पारदर्शी, परिणामोन्मुखी और जरूरतमंदों तक बेहतर तरीके से पहुंचे।
वित्त वर्ष 2026 के लिए टॉप योजनाओं का बजट और प्राथमिकता
आगामी वित्त वर्ष 2026 के लिए सरकार ने जिन 10 प्रमुख योजनाओं के लिए सर्वाधिक बजट आवंटित किया है, उनमें मनरेगा (MNREGA), जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission), पीएम किसान (PM Kisan) और प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-Rural) जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं का संयुक्त उद्देश्य रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला-बाल कल्याण जैसे अहम क्षेत्रों में सुधार लाना है।
मनरेगा के लिए सबसे ज्यादा ₹86,000 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है, जो ग्रामीण भारत में जीवन-स्तर सुधारने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जल जीवन मिशन को ₹67,000 करोड़ और पीएम किसान योजना को ₹63,500 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे किसानों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की मंशा झलकती है।
नीति आयोग और मंत्रालयों की भूमिका
नीति आयोग को यह ज़िम्मेदारी दी गई है कि वह ऐसे क्षेत्रों की पहचान करे, जहां राज्यों की योजनाएं केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के साथ समानता रखती हैं। अप्रैल 2025 तक आयोग द्वारा एक रिपोर्ट पेश की जाएगी, जिसमें योजनाओं को जारी रखने, संशोधित करने, घटाने या समाप्त करने की सिफारिशें की जाएंगी। इस रिपोर्ट को वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने से पहले विभिन्न मंत्रालयों और आयोग से प्राप्त फीडबैक पर भी विचार किया जाएगा।
केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का कुल बजट
सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (CSS) पर ₹5.41 लाख करोड़ का बजट तय किया है। बीते वर्ष यह राशि ₹5.05 लाख करोड़ थी, जिसे बाद में संशोधित कर ₹4.15 लाख करोड़ कर दिया गया। यह दर्शाता है कि सरकार अब योजनाओं के लिए केवल राशि आवंटन नहीं बल्कि परिणाम आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहती है।
प्रमुख CSS योजनाओं में आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), जल जीवन मिशन (JJM), और प्रधानमंत्री आवास योजनाएं – ग्रामीण और शहरी शामिल हैं। यह योजनाएं भारत के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
अप्रैल से सामने आ सकती है समीक्षा रिपोर्ट
उम्मीद है कि अप्रैल 2025 से यह रिव्यू रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के भावी बजट निर्णयों और योजनाओं के भविष्य को प्रभावित करने वाली होगी। यह न सिर्फ मौजूदा स्कीम्स को प्रभावी बनाने में मदद करेगी, बल्कि उन क्षेत्रों की पहचान भी करेगी जहां नई योजनाओं की जरूरत है।