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यूपी में बिजली महंगी! 5 साल बाद फिर बढ़ा सरचार्ज – जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

उत्तर प्रदेश में महंगाई की मार के बीच अब बिजली भी हो गई महंगी। अप्रैल से लागू हुआ नया फ्यूल सरचार्ज, 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं पर सीधा असर। जानें क्यों हर महीने बदलता रहेगा बिल और क्या कह रहे हैं उपभोक्ता संगठन

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यूपी में बिजली महंगी! 5 साल बाद फिर बढ़ा सरचार्ज – जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर
यूपी में बिजली महंगी! 5 साल बाद फिर बढ़ा सरचार्ज – जानिए आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

उत्तर प्रदेश में पांच साल बाद बिजली महंगी होने से आम जनता की जेब पर एक और मार पड़ी है। यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने अप्रैल महीने से उपभोक्ताओं के बिजली बिल में फ्यूल सरचार्ज (Fuel Surcharge) जोड़ने का फैसला किया है। इसके तहत बिजली अब 1.24 प्रतिशत महंगी हो गई है। यह बढ़ोतरी फ्यूल एंड पावर पर्चेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (FPPAS) के तहत की गई है, जिसे जनवरी महीने के खर्चों की भरपाई के लिए लागू किया गया है।

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अप्रैल से लागू हुआ नया फ्यूल चार्ज, हर महीने बढ़ेगा बिजली बिल

यूपी में बिजली दरों में यह बढ़ोतरी अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गई है। UPPCL के मुताबिक, जनवरी में कुल 78.99 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली करनी है, जिसके लिए उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज लगाया गया है। अब हर महीने बिजली कंपनियों द्वारा खरीदे गए ईंधन की लागत के अनुसार सरचार्ज बदला जाएगा।

इस नई व्यवस्था का असर 3.45 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। यानी अब हर घर और व्यापारिक उपभोक्ता को बढ़ा हुआ बिजली बिल चुकाना पड़ेगा। यह निर्णय नियामक आयोग द्वारा लागू की गई मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 (Multi Year Tariff Regulation 2025) के तहत लिया गया है, जो वर्ष 2029 तक लागू रहेगा

बिजली दरों में बढ़ोतरी पर उपभोक्ताओं की नाराजगी

बिजली दरों में इस अचानक हुई वृद्धि पर उपभोक्ता परिषद (Consumer Council) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया है कि बिजली निगम के पास उपभोक्ताओं के जमा किए गए 33 हजार करोड़ रुपये पड़े हैं, जिसका कोई स्पष्ट लेखा-जोखा नहीं दिया गया है।

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उनका कहना है कि जब तक इस धनराशि का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाता, तब तक उपभोक्ताओं पर नया बोझ डालना गलत है। उन्होंने इसे नियमों का उल्लंघन बताया और सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।

फ्यूल सरचार्ज क्या है और इसका असर कैसे पड़ता है?

फ्यूल सरचार्ज, जिसे तकनीकी भाषा में FPPAS (Fuel and Power Purchase Adjustment Surcharge) कहा जाता है, वह अतिरिक्त शुल्क है जो बिजली कंपनियों को बिजली उत्पादन में प्रयोग होने वाले ईंधन की बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से वसूला जाता है।

अब नई नीति के तहत यह सरचार्ज हर महीने बदला जाएगा और बिजली बिल में स्वतः जोड़ा जाएगा। इससे बिजली की दरें स्थिर न रहकर समय-समय पर बदलती रहेंगी।

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रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की आवश्यकता फिर चर्चा में

इस बढ़ती बिजली दरों के बीच विशेषज्ञ एक बार फिर रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर रुख करने की बात कर रहे हैं। अगर राज्य सौर ऊर्जा (Solar Power), पवन ऊर्जा (Wind Energy) जैसी वैकल्पिक स्रोतों की ओर तेजी से बढ़े, तो इस तरह की दरों की अस्थिरता से काफी हद तक बचा जा सकता है।

उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में यूपी सरकार रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स को और बढ़ावा देगी जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

सरकार और नियामक आयोग की ओर से क्या सफाई?

नियामक आयोग (Regulatory Commission) का कहना है कि यह नई व्यवस्था पारदर्शिता और लागत-आधारित बिलिंग को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है। आयोग के अनुसार, इससे बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त आपूर्ति मिल सकेगी।

हालांकि, विपक्षी दलों और उपभोक्ता समूहों का मानना है कि यह व्यवस्था केवल कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि आम जनता महंगाई के इस दौर में और ज्यादा परेशान हो रही है।

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आने वाले महीनों में और बढ़ सकती है बिजली दरें?

अगर अंतरराष्ट्रीय या घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतों में इजाफा हुआ, तो बिजली कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाला फ्यूल सरचार्ज भी बढ़ सकता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को हर महीने एक अस्थिर बिजली बिल का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनके घरेलू बजट पर सीधा असर पड़ेगा।

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