
Single Bank Account की अवधारणा आज के समय में जितनी साधारण लगती है, उतनी ही महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब आप एक वेतनभोगी व्यक्ति हैं। अक्सर लोग यह सोचते हैं कि ज्यादा बैंक अकाउंट होने से सुविधाएं बढ़ती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ये सुविधाएं कई बार अनचाहे आर्थिक बोझ में तब्दील हो जाती हैं। यदि आपके पास एक से अधिक बैंक खाते हैं, तो जरूरी है कि आप उन खातों से जुड़ी लागत, जोखिम और टैक्स से जुड़ी जटिलताओं को गंभीरता से समझें।
एक सिंगल सेविंग्स अकाउंट न सिर्फ आपके वित्तीय प्रबंधन को आसान बनाता है, बल्कि आपके मंथली चार्ज, टैक्स रिटर्न फाइलिंग और फ्रॉड रिस्क को भी काफी हद तक नियंत्रित करता है। खासतौर पर ऐसे समय में जब बैंकें SMS अलर्ट सेवा शुल्क, डेबिट कार्ड AMC और न्यूनतम शेष राशि के नाम पर अनेक तरह के चार्ज वसूलती हैं, वहां एक ही खाता होना काफी फायदेमंद साबित होता है।
सुविधा के साथ-साथ बचत भी
Single Bank Account रखने से न केवल बैंकिंग प्रक्रिया सरल होती है बल्कि अतिरिक्त खर्चों से भी बचाव होता है। उदाहरण के लिए, हर बैंक खाते पर लगने वाला डेबिट कार्ड एएमसी (Annual Maintenance Charge), एसएमएस अलर्ट शुल्क, और न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की शर्तें, आपके मासिक बजट को प्रभावित कर सकती हैं। यदि आपके पास सिर्फ एक बैंक खाता है, तो आपको इन सेवाओं के लिए केवल एक बार भुगतान करना होगा।
इसके अतिरिक्त, इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय भी एकल खाता बहुत मददगार होता है क्योंकि इससे सभी बैंकिंग विवरण एक जगह पर मिल जाते हैं, जिससे दस्तावेजी प्रक्रिया आसान हो जाती है और गलती की संभावना कम हो जाती है।
जालसाजी का खतरा और निष्क्रिय खाते
अक्सर लोग जब नौकरी बदलते हैं तो पुराने सैलरी अकाउंट को बंद करना भूल जाते हैं, जिससे वह खाता निष्क्रिय हो जाता है। ऐसे निष्क्रिय खातों में जालसाजी (Fraud) की संभावना अधिक होती है क्योंकि अकाउंट होल्डर उस खाते पर नजर नहीं रखता। एक निष्क्रिय खाता साइबर अपराधियों के लिए आसान शिकार बन सकता है, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकता है।
CIBIL स्कोर पर प्रभाव
एक से अधिक बैंक खाते सही तरीके से मैनेज न किए जाएं तो वह आपके CIBIL स्कोर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। न्यूनतम बैलेंस न रखने पर बैंक पेनल्टी चार्ज करता है, जो अगर बार-बार होता है, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए एक सिंगल खाता रखना अधिक उचित होता है।
सेवा शुल्क में बढ़ोतरी और निवेश की बाधा
हर बैंक खाता एक तरह से लागत बन जाता है। अलग-अलग खातों में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की शर्तें आपकी बचत को सीमित कर देती हैं। मान लीजिए आपके पास तीन बैंक खाते हैं और हर खाता न्यूनतम ₹20,000 की मांग करता है, तो आपके ₹40,000 से ज्यादा की राशि सिर्फ खातों में पड़ी रहती है, जिसका कोई उत्पादक उपयोग नहीं हो पाता।
यदि यही राशि आप Renewable Energy से जुड़े म्यूचुअल फंड्स या डेट फंड्स में लगाते, तो आप 8% तक का रिटर्न पा सकते थे, जबकि बैंक सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज महज 4-5% होता है। इस तरह एकल खाता रखने से आप न सिर्फ सेवा शुल्क से बचते हैं, बल्कि आपकी निवेश क्षमता भी बढ़ती है।
इनकम टैक्स फ्रॉड का जोखिम
Income Tax विभाग के नियमों के अनुसार, सेविंग अकाउंट में ₹10,000 तक के ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है। यदि आपके पास कई खाते हैं, और हर खाते का ब्याज ₹10,000 से कम हो, तो बैंक TDS नहीं काटता। लेकिन जब आप सभी खातों का ब्याज जोड़ते हैं और वह ₹10,000 की सीमा पार कर जाता है, तब आप टैक्स के दायरे में आ जाते हैं। यदि आपने यह जानकारी ITR में नहीं दी तो यह Income Tax Fraud माना जा सकता है, भले ही यह अनजाने में हुआ हो। इसलिए एकल खाता रखने से टैक्स रिपोर्टिंग में पारदर्शिता और सटीकता बनी रहती है।