
निवेश (Investment) के समय अधिकतर लोग सबसे पहले स्कीम की ब्याज दर (Interest Rate) पर ध्यान देते हैं। आम धारणा यही है कि अधिक ब्याज दर मतलब अधिक मुनाफा। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। दरअसल, मुनाफा सिर्फ ब्याज दर पर नहीं, बल्कि ब्याज की गणना कैसे की जा रही है—इस पर भी निर्भर करता है। कई बार कम ब्याज दर वाली स्कीम अधिक मुनाफा देती है, जबकि अधिक ब्याज दर वाली स्कीम उतना रिटर्न नहीं देती।
इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि किसी स्कीम में ब्याज की गणना सिंपल इंटरेस्ट (Simple Interest) के आधार पर हो रही है या कंपाउंड इंटरेस्ट (Compound Interest) के आधार पर। कंपाउंडिंग में मूलधन के साथ-साथ ब्याज पर भी ब्याज मिलता है, जिससे लंबी अवधि में मुनाफा बढ़ता है।
निवेश करते समय सिर्फ ब्याज दर को देखना पर्याप्त नहीं है। आपको यह भी देखना चाहिए कि स्कीम में ब्याज कैसे और कितनी बार जोड़ा जा रहा है। कंपाउंडिंग की आवृत्ति—तिमाही, छमाही या वार्षिक—आपके कुल रिटर्न पर सीधा प्रभाव डालती है। इसलिए निवेश करने से पहले स्कीम के ब्याज कैलकुलेशन मेथड को जरूर समझें। इसी से तय होगा कि आपकी कमाई कितनी होगी, और आपका निवेश कितना कारगर रहेगा।
कंपाउंडिंग का तरीका: वार्षिक बनाम तिमाही
अगर कोई स्कीम कंपाउंडिंग इंटरेस्ट देती भी है तो यह जानना जरूरी है कि उसकी कंपाउंडिंग कैलकुलेशन वार्षिक (Yearly) आधार पर हो रही है या तिमाही (Quarterly) आधार पर। यह एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है जो अंतिम रिटर्न को सीधे प्रभावित करता है।
पोस्ट ऑफिस की दो लोकप्रिय स्कीमें—Post Office Time Deposit (TD) और National Savings Certificate (NSC)—इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। दोनों का टेन्योर 5 साल का है, लेकिन ब्याज की दर और उसकी गणना की विधि में फर्क है।
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (Post Office TD) की ब्याज गणना
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट स्कीम में वर्तमान में 7.5% वार्षिक ब्याज दर दी जा रही है। हालांकि, इसकी गणना तिमाही आधार पर होती है। इसका मतलब है कि हर तीन महीने पर मूलधन और पहले के ब्याज पर 1.875% (7.5/4) की दर से ब्याज जोड़ा जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹1,00,000 की निवेश राशि डाली है, तो पहले तीन महीने में उस पर ₹1,875 का ब्याज मिलेगा। अब अगली तिमाही में यह ब्याज भी मूलधन में जुड़ जाएगा, यानी अगली बार ब्याज ₹1,01,875 पर लगेगा। इसी तरह यह प्रक्रिया हर तीन महीने पर दोहराई जाती है।
पांच साल की अवधि में कुल 20 बार कंपाउंडिंग होती है। इस तरह 5 साल के अंत में आपकी राशि ₹1,44,995 हो जाती है।
एनएससी (NSC) की ब्याज गणना
National Savings Certificate यानी NSC भी 5 साल की निवेश योजना है, जिसमें इस समय 7.7% की ब्याज दर लागू है। यह दर पोस्ट ऑफिस एफडी से अधिक है। लेकिन इसमें ब्याज की गणना वार्षिक आधार पर होती है। यानी साल में एक बार ही मूलधन और उस पर मिले ब्याज को मिलाकर कंपाउंडिंग होती है।
उदाहरण के तौर पर, ₹1,00,000 के निवेश पर पहले साल ₹7,700 का ब्याज मिलेगा। दूसरे साल यह ब्याज ₹1,07,700 पर लगेगा। इस तरह हर साल सिर्फ एक बार ही कंपाउंडिंग होती है। 5 साल के अंत में NSC से मिलने वाली मैच्योरिटी राशि ₹1,44,903 होती है।
नतीजा: ब्याज दर कम होने के बावजूद अधिक मुनाफा
ऊपर दिए गए दोनों उदाहरणों को देखने पर साफ पता चलता है कि पोस्ट ऑफिस एफडी (Post Office Time Deposit) की ब्याज दर 7.5% होने के बावजूद, इसका मुनाफा NSC के मुकाबले अधिक है, जिसमें ब्याज दर 7.7% है। पोस्ट ऑफिस एफडी में कुल ₹1,44,995 मिलते हैं जबकि एनएससी में ₹1,44,903—यानी ₹92 का फर्क।
हालांकि ये अंतर बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन यह साबित करता है कि ब्याज दर से अधिक महत्वपूर्ण है कंपाउंडिंग का तरीका और आवृत्ति (frequency)।
यदि पोस्ट ऑफिस TD में भी 7.7% की ब्याज दर होती, तो वहां कुल मुनाफा ₹1,46,425 होता, जो NSC के मुकाबले ₹1,522 ज्यादा है।