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CG हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला! 2006 से पहले रिटायर कर्मचारियों को फिर से मिलेगा Pension Benefit

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2006 से पहले रिटायर हुए पेंशनर्स को छठवें वेतन आयोग का लाभ देने का निर्देश दिया है। सरकार की वित्तीय बोझ की दलील को खारिज कर कोर्ट ने 120 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही, फुटपाथ, अतिक्रमण और सफाई व्यवस्था पर निगम की लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणी की है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।

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CG हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला! 2006 से पहले रिटायर कर्मचारियों को फिर से मिलेगा Pension Benefit
Pension Benefit

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक बेहद अहम और दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह 1 जनवरी 2006 से पहले सेवानिवृत्त हुए पेंशनर्स को छठवें वेतन आयोग के तहत पेंशन लाभ सुनिश्चित करे। यह फैसला छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य के मामले में सुनाया गया, जिसमें याचिकाकर्ता संघ ने समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए न्याय की मांग की थी।

संविधान का सहारा और न्याय की दिशा में बड़ा कदम

याचिका में तर्क दिया गया कि 2006 के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग (6th Pay Commission) का लाभ दिया गया, जबकि इससे पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया। यह भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 (Right to Equality) का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए, राज्य सरकार की वित्तीय बोझ की दलील को खारिज कर दिया।

राज्य सरकार का तर्क खारिज, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला

राज्य सरकार ने अपने पक्ष में कहा कि अगर 2006 से पहले रिटायर हुए पेंशनर्स को भी छठे वेतन आयोग का लाभ दिया गया, तो इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 49 का हवाला दिया और कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों को संयुक्त रूप से पेंशन भुगतान की जिम्मेदारी निभानी होगी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों को आधार बनाते हुए कोर्ट ने कहा कि समान परिस्थिति में समान लाभ दिए जाने चाहिए।

MP-CG के हजारों पेंशनर्स को मिलेगा लाभ

हाई कोर्ट के इस निर्णय से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के हजारों रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी राहत की सांस लेंगे। न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने आदेश दिया कि 120 दिनों के भीतर सभी पात्र पेंशनर्स को संशोधित पेंशन का भुगतान किया जाए। यह फैसला न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक न्याय के परिप्रेक्ष्य से भी एक मिसाल बन सकता है।

निगम प्रशासन पर कोर्ट की सख्ती

इसी सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फुटपाथ, अतिक्रमण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर भी गंभीर टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा कि प्रशासन केवल दिखावा करता है और जिम्मेदारी निभाने से बचता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एक पेन से जो काम हो सकता है, वह अधिकारी नहीं करते, जिससे यह समझ आता है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति की गंभीर कमी है।

फुटपाथ पर टिप्पणी: दिव्यांग ही नहीं, सामान्य व्यक्ति भी चलने में असमर्थ

Smart City Limited द्वारा बनाए गए फुटपाथ की हालत पर सवाल उठाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उस पर कोई दिव्यांग तो क्या, एक सामान्य व्यक्ति भी ठीक से नहीं चल सकता। उन्होंने जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को मौके का निरीक्षण करने और अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। साथ ही, निगम आयुक्त की लापरवाही को इतनी गंभीर करार दिया कि उन्हें सस्पेंड करने तक की टिप्पणी कर दी।

जरहाभाठा में कचरे के ढेर पर भी जताई चिंता

सुनवाई के दौरान जरहाभाठा ओमनगर क्षेत्र में फैले कचरे और वहां 4 करोड़ रुपये की सफाई लागत की खबर पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने इस पर जनहित याचिका दर्ज करते हुए कलेक्टर और निगम आयुक्त से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब मांगा है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

9 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को निर्धारित की है और यह साफ कर दिया है कि अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट की इस सख्ती से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासनिक अमले को अब जवाबदेह बनना ही होगा।

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