
मध्य प्रदेश में बेरोजगारों को अब ‘आकांक्षी युवा’ कहा जाएगा — यह बयान हाल ही में प्रदेश सरकार के कौशल विकास मंत्री गौतम टेटवाल द्वारा दिया गया, जिसने एक नई सामाजिक और प्रशासनिक बहस को जन्म दे दिया है। यह निर्णय न केवल शब्दों का बदलाव है, बल्कि इसके पीछे सोच और सरकार की मानसिकता में परिवर्तन का संकेत भी माना जा रहा है।
मंत्री के अनुसार अब बेरोजगार-Jobless शब्द की जगह आकांक्षी युवा-Akankshi Yuva शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। यह बदलाव दिखाता है कि सरकार युवा वर्ग को केवल बेरोजगारी के आंकड़े तक सीमित न मानकर उन्हें एक संभावना और विकास की राह पर देखने की कोशिश कर रही है।
शब्दों का यह बदलाव महज औपचारिक नहीं
शुरुआत में यह सुनकर भले ही अजीब लगे कि अब बेरोजगारों को बेरोजगार नहीं कहा जाएगा, परंतु यह कदम राज्य सरकार की मानसिकता में एक परिवर्तन को दर्शाता है। हाल के वर्षों में शहरों, जिलों और गांवों के नाम बदलने की प्रवृत्ति अब सामाजिक वर्गों और स्थिति विशेष को परिभाषित करने वाले शब्दों तक पहुंच गई है।
सरकार ने हाल ही में कई गांवों के नाम बदले हैं और अब यह संकेत दिया है कि सामाजिक रूप से संवेदनशील शब्दों के स्थान पर सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास जगाने वाले शब्दों का चयन किया जाएगा। बेरोजगार कहना जहां निराशा और हताशा का प्रतीक माना जाता है, वहीं ‘आकांक्षी युवा’ शब्द विकास, संभावना और ऊर्जा का संकेत देता है।
बेरोजगारी के आँकड़े चिंताजनक हैं
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में जुलाई 2024 में बेरोजगारों की संख्या 25.82 लाख थी, जो दिसंबर तक बढ़कर 26.17 लाख हो गई और अब मार्च 2025 में यह आंकड़ा 29.36 लाख तक पहुंच गया है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में बेरोजगारी-Unemployment की समस्या गंभीर है, और सरकार इस समस्या को शब्दों के माध्यम से नहीं बल्कि योजनाओं के जरिए हल करने की दिशा में प्रयासरत दिखना चाहती है।
बेरोजगारी की नई परिभाषा
मंत्री गौतम टेटवाल ने अपने बयान में बताया कि राज्य में हर वह व्यक्ति जो 12,646 रुपये मासिक आय से कम कमाता है और जिसे स्थायी रोजगार नहीं मिला है, वही वास्तव में बेरोजगार की श्रेणी में आता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी दुकानदार का बेटा अपने पिता की दुकान में हाथ बंटा रहा है, तो उसे बेरोजगार की सूची में रखना उचित नहीं है।
उनका यह कहना है कि रोजगार कार्यालय में जो आंकड़े दर्ज हैं, वे वास्तविकता से काफी भिन्न हो सकते हैं, क्योंकि उनमें कई ऐसे लोग शामिल हैं जो काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आंकड़ों में बेरोजगार माने जाते हैं।
सरकार की मंशा और भावी योजना
‘आकांक्षी युवा’ शब्द के प्रयोग के पीछे सरकार की यह मंशा है कि युवाओं को सकारात्मक सोच और आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया जाए। इससे उन्हें अपने भीतर छिपे कौशल और क्षमताओं को पहचानने का अवसर मिलेगा। सरकार मानती है कि शब्दों में बदलाव से मानसिकता बदल सकती है और यही बदलाव युवा वर्ग में आत्मविश्वास भरने का काम करेगा।
सरकार इस कदम के साथ कौशल विकास, स्वरोजगार और स्टार्टअप योजनाओं को भी सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि सिर्फ नाम ही नहीं, बल्कि वास्तविकता में भी युवाओं की स्थिति बदली जा सके।