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Train Parcel: ट्रेन से कैसे पार्सल करते हैं बाइक-स्कूटर, जानिए हर एक सवाल का जवाब

दूसरे शहर बाइक भेजनी है और दलालों से परेशान हैं? अब नहीं करनी पड़ेगी भागदौड़! रेलवे की इस आसान प्रक्रिया से आप खुद कर सकते हैं बाइक की बुकिंग—वो भी कम खर्च और पूरी सुरक्षा के साथ। जानिए Bike Parcel और Luggage के वो सभी सीक्रेट्स जो अब तक आपसे छुपाए गए थे

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Train Parcel: ट्रेन से कैसे पार्सल करते हैं बाइक-स्कूटर, जानिए हर एक सवाल का जवाब
Train Parcel: ट्रेन से कैसे पार्सल करते हैं बाइक-स्कूटर, जानिए हर एक सवाल का जवाब

अगर आप दूसरे शहर शिफ्ट हो रहे हैं और आपके पास खुद की बाइक या स्कूटर है, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि इसे वहां तक कैसे पहुंचाया जाए। आजकल बाइक ट्रांसफर करने के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन रेलवे से Bike Parcel या Luggage भेजना अब भी सबसे सस्ता और सुविधाजनक तरीका माना जाता है।

बहुत से लोग इसे जटिल प्रक्रिया मानकर दलालों की मदद लेते हैं, जो न केवल आपकी जेब पर भारी पड़ते हैं, बल्कि कई बार सही जानकारी के अभाव में परेशानी भी खड़ी कर देते हैं। लेकिन अगर आप भारतीय रेलवे के नियमों (Indian Railways Rules) को सही ढंग से समझ लें, तो बिना किसी एजेंट के खुद ही यह काम आसानी से कर सकते हैं।

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रेलवे पार्सल के जरिए बाइक कैसे भेजें?

रेलवे पार्सल सेवा से बाइक भेजने के लिए कुछ जरूरी प्रक्रियाएं होती हैं। सबसे पहले आपको रेलवे स्टेशन के पार्सल ऑफिस में जाना होगा और बुकिंग करानी होगी।

बुकिंग के दौरान आपको अपनी बाइक की आरसी (Registration Certificate) की दो फोटोकॉपी देनी होती है। ध्यान दें कि आपकी बाइक का टैंक पूरी तरह से खाली होना चाहिए। बाइक पर जिस स्टेशन तक भेजनी है, उस स्टेशन का नाम कार्डबोर्ड पर बड़े और स्पष्ट अक्षरों में लिखा होना चाहिए और बाइक को अच्छी तरह बांधना जरूरी है।

पार्सल ऑफिस आपको एक फॉर्म देगा, जिसमें आपको निम्न जानकारी भरनी होगी:

  • बाइक का नाम
  • कंपनी का नाम
  • रजिस्ट्रेशन नंबर
  • वजन
  • बाइक की कीमत
  • जिस स्टेशन से बुकिंग हो रही है और जिस स्टेशन पर भेजना है, वह जानकारी

इस प्रक्रिया के बाद, रेलवे आपकी बाइक को सुरक्षित रूप से गंतव्य स्थान तक पहुंचा देता है।

ट्रेन में लगेज के रूप में बाइक कैसे भेजें?

अगर आप अपनी यात्रा के दौरान बाइक को अपने साथ ही ले जाना चाहते हैं, तो आप इसे ट्रेन के Luggage Coach में भेज सकते हैं। इसके लिए आपको यात्रा की बुकिंग पहले से करनी होगी और ट्रेन के चलने से कम से कम आधे घंटे पहले स्टेशन पहुंचना होगा।

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बाइक को यहां भी अच्छी तरह पैक करना जरूरी होता है। आपकी ट्रेन की बुकिंग के आधार पर ही बाइक को लगेज कोच में रखने की अनुमति दी जाती है। स्टेशन से आपको एक बिल मिलेगा, जिसे आप डेस्टिनेशन स्टेशन पर दिखाकर अपनी बाइक प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि लगेज कोच में जगह होना जरूरी है, अन्यथा बाइक को उसी ट्रेन में नहीं भेजा जा सकेगा। इस कारण से पार्सल भेजने का विकल्प अधिक सुरक्षित और तय माना जाता है।

कितने रुपए लगते हैं बाइक भेजने में?

Bike Parcel Charges दूरी और बाइक के वजन पर निर्भर करते हैं। जितनी अधिक दूरी होगी, खर्च उतना ही ज्यादा होगा। बाइक का वजन भी कीमत को प्रभावित करता है। आमतौर पर 100 से 1500 किलोमीटर की दूरी के लिए 700 से 3000 रुपये तक चार्ज लग सकता है। लगेज के रूप में भेजने पर भी यही गणना लागू होती है, लेकिन इसमें आपके टिकट की बुकिंग अनिवार्य होती है।

यदि आप बीमा भी करवाना चाहते हैं, तो अतिरिक्त चार्ज देना होगा, जिससे अगर किसी तरह की क्षति होती है तो आपको मुआवजा मिल सके।

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पार्सल और लगेज के फायदे और नुकसान

रेलवे पार्सल सेवा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप बिना यात्रा किए भी अपनी बाइक किसी भी शहर में भेज सकते हैं। वहीं, लगेज सेवा में आपको खुद यात्रा करनी होती है। पार्सल के जरिए बुकिंग पहले से कर सकते हैं जबकि लगेज कोच में सीट मिलना सीट की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

दोनों ही विकल्प सुरक्षित माने जाते हैं, लेकिन पार्सल में थोड़ा समय ज्यादा लग सकता है, जबकि लगेज में आप बाइक के साथ ही अगले स्टेशन तक पहुंच जाते हैं।

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