
उत्तर प्रदेश में ईद-उल-फितर की छुट्टी को लेकर इस बार लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कोई 31 मार्च को ईद की छुट्टी बता रहा है तो कोई 1 अप्रैल को। लेकिन सवाल यही है कि ईद की सरकारी छुट्टी- Eid Government Holiday आखिर कब है? क्या स्कूल-कॉलेज और सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे? इस पूरे मुद्दे पर अब हम आपको राज्य सरकार के सरकारी कैलेंडर 2024 के आधार पर एक स्पष्ट जानकारी देने जा रहे हैं, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी न रहे।
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, ईद-उल-फितर की सार्वजनिक छुट्टी 31 मार्च 2025 (सोमवार) को घोषित की गई है, जो कि चैत्र 10, 1947 शक संवत के अनुसार तय की गई है। इसके साथ ही, 1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को भी निर्बंधित अवकाश यानी ऑप्शनल हॉलिडे के रूप में रखा गया है।
यह घोषणा शासन के पत्र संख्या 870/तीन-2024-39(2) 2016 के तहत, दिनांक 17 दिसंबर 2024 को की गई थी, जो कि उत्तर प्रदेश का अधिकृत सरकारी कैलेंडर है।
चंद्र दर्शन के अनुसार तय होगी अंतिम तारीख
सरकारी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण नोट जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि – त्योहार और पर्व स्थानीय चंद्र दर्शन के अनुसार मनाए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि ईद की वास्तविक तिथि चाँद दिखने पर निर्भर करेगी। इस स्थिति में संबंधित जिलों के जिलाधिकारी (DM) को यह अधिकार दिया गया है कि वे जरूरत पड़ने पर छुट्टी की तारीखों को संशोधित कर सकते हैं।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी तारीख को छुट्टी पुनः निर्धारित की जाती है, तो राष्ट्रीयकृत बैंक भी उसी दिन छुट्टी दें, इसके लिए बैंक प्रबंधन को पूर्व तैयारियां सुनिश्चित करनी होंगी।
स्कूल और ऑफिस रहेंगे बंद या खुले?
सरकारी आदेश के मुताबिक, 31 मार्च को सभी सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज, और शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। वहीं 1 अप्रैल को निर्बंधित अवकाश होने के कारण, जिन कर्मचारियों ने यह अवकाश चुना होगा, वे छुट्टी पर रह सकते हैं लेकिन सभी संस्थानों में कार्य सामान्य रूप से जारी रहेगा।
ईद पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
इस बार ईद को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर है। खासतौर पर संवेदनशील क्षेत्रों में PAC, RAF और पुलिस बल की विशेष तैनाती की गई है। सभी जिला प्रशासनों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि कहीं भी कानून व्यवस्था न बिगड़े।
मेरठ पुलिस द्वारा सड़क पर नमाज पढ़ने पर पासपोर्ट जब्त किए जाने की चेतावनी ने राजनीतिक बहस को भी जन्म दे दिया है। सपा सांसद इकरा हसन ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि अगर मस्जिद या ईदगाह में जगह न हो तो लोग सड़क पर भी नमाज पढ़ सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे और संयमित रवैया अपनाए।