
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (Eastern Peripheral Expressway) दो ऐसे हाईवे हैं जिन पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। यह फैसला सड़क सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया है, ताकि तेज रफ्तार वाहनों के बीच दोपहिया वाहन चालकों की जान खतरे में न पड़े। हालांकि पहले सिर्फ चालान कर छोड़ा जाता था, लेकिन अब नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
हाल ही में गाजियाबाद के एडीएम सिटी गंभीर सिंह की अध्यक्षता में 27 मार्च को हुई सड़क सुरक्षा समीक्षा बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया कि अगर कोई दोपहिया वाहन एक्सप्रेसवे पर पाया गया, तो अब सिर्फ चालान ही नहीं बल्कि उसकी गाड़ी सीज की जा सकती है और लाइसेंस भी सस्पेंड किया जा सकता है।
हालांकि, इस खबर के मीडिया में आने के बाद गाजियाबाद प्रशासन ने सफाई दी कि एफआईआर (FIR) दर्ज करने का कोई नियम नहीं है। प्रेस नोट के जरिए बताया गया कि NHAI की ओर से भी इस तरह का कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है। लेकिन चालान की कार्रवाई, लाइसेंस सस्पेंशन और वाहन सीज जैसे कदम पूरी तरह से लागू रहेंगे।
प्रशासन की स्थिति और कानूनी प्रक्रिया
प्रशासन की मानें तो दोपहिया वाहनों के एक्सप्रेसवे पर चलने पर ₹20,000 तक का चालान लगाया जा सकता है। यह राशि उन मामलों में लगाई जाती है जहां वाहन चालक जानबूझकर प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करता है। इसके अलावा, ट्रैफिक नियमों के गंभीर उल्लंघन पर ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है और गाड़ी को भी सीज किया जा सकता है। यह कार्रवाई Motor Vehicle Act के तहत की जाती है।
सड़क सुरक्षा का बड़ा कारण
इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य एक्सप्रेसवे पर हो रही दुर्घटनाओं में कमी लाना है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर वाहनों की गति बहुत अधिक होती है, और इस रफ्तार में अगर कोई दोपहिया वाहन बीच में आ जाए, तो हादसे की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
प्रशासन लगातार यह अपील कर रहा है कि सभी वाहन चालक सड़क सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन करें और अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें। एक्सप्रेसवे को केवल चार पहिया और भारी वाहनों के लिए डिज़ाइन किया गया है, ऐसे में दोपहिया वाहनों की उपस्थिति न सिर्फ उनके लिए बल्कि अन्य चालकों के लिए भी खतरा बन सकती है।