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शादीशुदा बेटियां भी कर सकती हैं पापा की प्रॉपर्टी पर दावा – जानिए कानून क्या कहता है

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदू धर्म, बौद्ध, सिख और जैन समाज में जन्मी बेटियाँ भी अपने पिता की संपत्ति में बराबरी की हिस्सेदारी की हकदार हैं। भारतीय संविधान के तहत शादीशुदा बेटियाँ भी अपने पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती हैं, बशर्ते उनकी वसीयत में उनका नाम शामिल न हो।

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शादीशुदा बेटियां भी कर सकती हैं पापा की प्रॉपर्टी पर दावा – जानिए कानून क्या कहता है
पापा की प्रॉपर्टी पर दावा

भारत में सदियों से यह माना जाता रहा है कि एक पिता की संपत्ति पर बेटों का ही अधिकार होता है, जबकि बेटियों को इसके हिस्से से वंचित रखा जाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश के बाद, हिंदू धर्म, बौद्ध, सिख और जैन समाजों में पैदा होने वाली बेटियों को उनके पिता की संपत्ति पर बराबरी का हक मिल गया है। अब, यह नियम सिर्फ बेटों पर नहीं, बल्कि बेटियों पर भी लागू होता है, चाहे वह शादीशुदा हों या नहीं।

कानूनी अधिकार: शादीशुदा बेटियों का हक

भारतीय संविधान के हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के तहत, पिता की संपत्ति में बेटियों का अधिकार बिलकुल वैसा ही होता है जैसा बेटों का। इसका मतलब है कि शादीशुदा बेटियाँ भी अपने पिता की संपत्ति में बराबरी की हिस्सेदारी का दावा कर सकती हैं। इसका कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेटी कुंवारी है या शादीशुदा। यदि एक व्यक्ति के पास बेटा और बेटी दोनों हैं, तो बेटी को अपने भाई के बराबर हिस्से का हक है। इस बदलाव से यह सुनिश्चित होता है कि हर बेटी को उसके पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी मिल सके।

कब नहीं कर सकतीं बेटियाँ दावा

हालांकि, एक स्थिति ऐसी है जिसमें बेटियाँ अपने पिता की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकतीं। अगर किसी व्यक्ति ने अपनी मृत्यु से पहले अपनी वसीयत में बेटी का नाम नहीं शामिल किया है, तो ऐसे में वह अपनी पिता की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती। यह स्थिति उस समय पैदा होती है जब संपत्ति के वितरण के लिए वसीयत पहले से तैयार हो और उसमें बेटी का नाम न हो।

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