
माध्यमिक शिक्षा मंडल (MP Board) ने अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तर्ज पर बड़ा बदलाव करते हुए 10वीं और 12वीं की मुख्य परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह नई परीक्षा प्रणाली शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होने की संभावना है। इस व्यवस्था की आधिकारिक घोषणा 21 मार्च को जारी गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से की गई, जिससे राज्यभर के विद्यार्थियों और अभिभावकों में जागरूकता और उत्सुकता दोनों देखने को मिल रही है।
फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त में होंगी मुख्य परीक्षाएं
MP Board की नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रतिवर्ष दो मुख्य परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी—प्रथम परीक्षा फरवरी-मार्च में और द्वितीय परीक्षा जुलाई-अगस्त में। इस दोहराव के कारण पारंपरिक पूरक परीक्षा की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को एक और अवसर देना है ताकि वे किसी विषय में असफल होने पर उसी शैक्षणिक सत्र में दोबारा परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो सकें।
द्वितीय परीक्षा तक मिलेगा अस्थायी प्रवेश
जो छात्र द्वितीय परीक्षा में सम्मिलित हो रहे होंगे, उन्हें उच्चतर कक्षा में अस्थायी प्रवेश की अनुमति होगी। यह व्यवस्था उन्हें बिना समय गंवाए अपने अगले शैक्षणिक स्तर की पढ़ाई प्रारंभ करने की सुविधा देती है। परिणाम आने के बाद, यदि वे सभी विषयों में उत्तीर्ण पाए जाते हैं तो उनका प्रवेश स्थायी कर दिया जाएगा।
कम नंबर वालों को मिलेगा सुधार का अवसर
केवल असफल छात्र ही नहीं, बल्कि प्रथम परीक्षा में पास हुए छात्र भी एक या अधिक विषयों में द्वितीय परीक्षा देकर श्रेणी सुधार का प्रयास कर सकते हैं। इससे छात्रों को अपने अंक सुधारने और प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ़ेगी। यह अवसर विशेष रूप से उन छात्रों के लिए लाभकारी होगा जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और बेहतर ग्रेड्स की आवश्यकता महसूस करते हैं।
प्रायोगिक परीक्षा और विषय परिवर्तन पर स्पष्ट नियम
प्रायोगिक विषयों में यदि कोई छात्र प्रथम परीक्षा की प्रायोगिक या आंतरिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहा है तो वह केवल अनुत्तीर्ण भाग में ही द्वितीय परीक्षा में बैठ सकेगा। हालांकि, परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन करना अनिवार्य होगा। एक बार विषय चुने जाने के बाद, द्वितीय परीक्षा में उस विषय को बदला नहीं जा सकेगा। यह नियम परीक्षा की पारदर्शिता और एकरूपता बनाए रखने हेतु लागू किया गया है।