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आपकी सैलरी पर मिलेगा कितना Home Loan? SBI ने बताया आसान फॉर्मूला – तुरंत करें कैलकुलेट!

होम लोन आपकी इनकम, सिबिल स्कोर और वित्तीय प्रोफाइल के आधार पर मिलता है। नेट इनकम, इनकम स्टेबिलिटी और EMI कैपेसिटी को ध्यान में रखकर बैंक लोन की राशि और अवधि तय करते हैं। Co-applicant और संपत्ति गिरवी रखने जैसे विकल्प आपकी पात्रता को बढ़ा सकते हैं। ये जानकारी आपको बेहतर होम लोन निर्णय लेने में मदद करेगी।

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आपकी सैलरी पर मिलेगा कितना Home Loan? SBI ने बताया आसान फॉर्मूला – तुरंत करें कैलकुलेट!
Home Loan

जब बात अपने सपनों का घर खरीदने की आती है, तो ज्यादातर लोग Home Loan का सहारा लेते हैं। ये लोन आमतौर पर लंबी अवधि के लिए होता है और इसकी राशि भी काफी बड़ी होती है। यही कारण है कि बैंक किसी को भी होम लोन देने से पहले उसके प्रोफाइल का गहन मूल्यांकन करते हैं। खासकर आपकी इनकम और CIBIL Score जैसे फैक्टर होम लोन की राशि और अवधि तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

आपकी सैलरी से तय होती है होम लोन की राशि

आपको Home Loan कितनी राशि तक मिलेगा, इसका सीधा संबंध आपकी मासिक सैलरी और अन्य आर्थिक स्थितियों से होता है। बैंक आपकी इनकम, पहले से चल रहे लोन, EMI और लोन चुकाने की क्षमता (Repayment Capacity) को देखकर ये तय करता है कि आप कितने लायक हैं। अगर आपकी इनकम स्थिर है और आपके ऊपर कोई बड़ा लोन नहीं है, तो आपकी पात्रता अधिक होगी।

बैंक कैसे आपकी इनकम का आकलन करता है?

जब आप होम लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक आपकी इनकम का दो स्तरों पर मूल्यांकन करता है:

नेट इनकम (Net Income) और इनकम स्टेबिलिटी (Income Stability)।

नेट इनकम क्या होती है?

आपकी सैलरी स्लिप में जो ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) दी जाती है, वो आपकी कुल आमदनी होती है। लेकिन इसमें से PF, ग्रुप इंश्योरेंस, इनकम टैक्स जैसे कटौती के बाद जो राशि आपके अकाउंट में आती है, वही आपकी नेट इनकम होती है। बैंक इसी नेट इनकम के आधार पर आपकी Loan Eligibility तय करता है। साथ ही, अगर आपके ऊपर अन्य वित्तीय दायित्व जैसे कि किराया या किसी और लोन की EMI है, तो ये भी आपकी Effective Loan Eligibility को प्रभावित करता है।

इनकम स्टेबिलिटी की अहमियत

Income Stability का मतलब है कि आपकी कमाई कितनी नियमित और भरोसेमंद है। अगर आप किसी बड़ी कंपनी में स्थायी नौकरी कर रहे हैं, तो बैंक को आपके Repayment में जोखिम कम नजर आता है। इसके उलट, फ्रीलांसर या अस्थायी काम करने वालों के लिए होम लोन प्राप्त करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, अगर आपकी इनकम स्थिर है, तो अन्य मानकों में थोड़ी कमजोरी होने पर भी बैंक लोन देने को तैयार हो सकता है।

होम लोन पात्रता कैसे तय होती है?

बैंक यह तय करने के लिए कि आपको कितनी राशि तक का Home Loan देना है, अक्सर Eligibility Multiplier का इस्तेमाल करता है। यह एक गणना पद्धति है जो आपकी सैलरी के अनुसार Loan Limit तय करती है।

ग्रॉस एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर (Gross Eligibility Multiplier)
अगर आपकी मासिक ग्रॉस सैलरी ₹1 लाख है, तो आपकी सालाना सैलरी ₹12 लाख मानी जाएगी। इस आधार पर बैंक आपकी Gross Income का लगभग 4 से 5 गुना तक लोन दे सकता है। यानी आप ₹50 लाख तक का होम लोन ले सकते हैं।

नेट एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर (Net Eligibility Multiplier)
अगर टैक्स और PF आदि कटने के बाद आपकी नेट सैलरी ₹9 लाख है, तो बैंक इसे 6 गुना तक लोन देने के लिए मान सकता है। इसका मतलब है कि आप ₹54 लाख तक का होम लोन पा सकते हैं।

EMI सीमा और Disposability का तालमेल
EMI का भार आपकी डिस्पोजेबल इनकम पर निर्भर करता है। सलाह दी जाती है कि आपकी EMI आपकी Net Income के 40% से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर आपकी Net Income ₹45,000 है, तो EMI अधिकतम ₹18,000 होनी चाहिए। इससे आपको ₹45-50 लाख तक का लोन मिल सकता है, जो आपकी भुगतान क्षमता के अनुकूल होता है।

सैलरी के अलावा अन्य फैक्टर भी जरूरी

सिर्फ सैलरी ही नहीं, कुछ अन्य उपायों से भी आप अपनी Home Loan Eligibility बढ़ा सकते हैं। जैसे:

  • अगर आपकी पत्नी की नौकरी स्थिर है, तो उन्हें Co-applicant बनाकर पात्रता बढ़ाई जा सकती है।
  • पहले से चल रही किसी भी EMI को चुकाकर या Loan Consolidation करके आप अपनी वित्तीय प्रोफाइल मजबूत कर सकते हैं।
  • यदि आपके पास कोई अचल संपत्ति है, तो उसे गिरवी रखकर भी पात्रता बढ़ाई जा सकती है।

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