
सरकार ने 1 अप्रैल से प्याज-Onion पर लगाया गया 20% निर्यात शुल्क-Export Duty हटाने का निर्णय लिया है, जिससे किसानों को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। यह कदम खासतौर पर रबी सीजन की फसल के बढ़े हुए उत्पादन और उसके कारण आई कीमतों में गिरावट को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर राजस्व विभाग ने यह अधिसूचना जारी की है, ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके और घरेलू बाजार में संतुलन बना रहे।
किसानों को लाभ और कीमतों में स्थिरता की कोशिश
सरकार की यह पहल किसानों के हित में मानी जा रही है क्योंकि हाल के सप्ताहों में रबी प्याज की भारी आवक के चलते थोक और खुदरा बाजार में कीमतों में तेज गिरावट आई थी। उदाहरण के लिए, लासलगांव में 21 मार्च को प्याज की कीमत 1,330 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई थी, जबकि पिंपलगांव मंडी में यह 1,325 रुपये प्रति क्विंटल रही। एक महीने में अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतों में 10% और थोक बाजार में 39% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि से कीमतों पर दबाव
कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष रबी प्याज का अनुमानित उत्पादन 227 लाख टन रहेगा, जो पिछले वर्ष के 192 लाख टन की तुलना में 18% अधिक है। भारत में कुल प्याज उत्पादन का 70-75% हिस्सा रबी सीजन से आता है, जो आमतौर पर बाजार में अक्टूबर-नवंबर तक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। इस बढ़े हुए उत्पादन से एक ओर जहां आपूर्ति सशक्त हुई है, वहीं दूसरी ओर कीमतों पर नकारात्मक दबाव भी बना है।
निर्यात शुल्क हटाने से अंतरराष्ट्रीय मांग में उछाल की संभावना
सितंबर 2024 में प्याज पर लगाए गए निर्यात शुल्क के बावजूद भारत ने 18 मार्च 2025 तक 11.65 लाख टन प्याज का निर्यात किया। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज की मांग बनी हुई है। सितंबर 2024 में जहां निर्यात केवल 0.72 लाख टन था, वहीं जनवरी 2025 में यह बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया। अब जब 1 अप्रैल से निर्यात शुल्क हटाया गया है, तो इससे वैश्विक बाजार में मांग और तेज हो सकती है, जिससे घरेलू कीमतों में कुछ उछाल संभव है।
प्याज पर पहले भी लगे थे निर्यात प्रतिबंध
यह पहली बार नहीं है जब प्याज के निर्यात को लेकर सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। इससे पहले 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक प्याज पर निर्यात प्रतिबंध लगाया गया था। फिर सितंबर 2024 में 20% शुल्क लगाया गया था, जिसे अब हटाया गया है। सरकार का उद्देश्य हमेशा से घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करना और किसानों को उचित मूल्य दिलाना रहा है।