News

Banks 5 Day Working: अब हफ्ते में सिर्फ 5 दिन खुलेंगे बैंक? RBI की मंजूरी और सरकार की प्लानिंग पर आया बड़ा अपडेट!

बैंकिंग सेक्टर में 5 डे वर्किंग को लेकर अफवाहों और सच्चाई के बीच एक बड़ा अंतर है। इस लेख में जानिए क्या है असली स्थिति, यूनियनों की मांगें क्या हैं, और कैसे यह हड़ताल बैंकिंग सेवाओं को प्रभावित कर सकती है। पढ़िए इस मुद्दे का एक विस्तृत विश्लेषण।

Published on
Banks 5 Day Working: अब हफ्ते में सिर्फ 5 दिन खुलेंगे बैंक? RBI की मंजूरी और सरकार की प्लानिंग पर आया बड़ा अपडेट!
Banks 5 Day Working

Banks 5 Day Working को लेकर बैंक यूनियनों और कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि RBI ने 1 अप्रैल 2025 से बैंकों में 5 डे वर्किंग को मंजूरी दे दी है, यानी अब हर शनिवार और रविवार को बैंक बंद रहेंगे। लेकिन इन दावों पर सरकार की फैक्ट चेकिंग एजेंसी ने जो स्थिति साफ की, उसने पूरे घटनाक्रम को एक नया मोड़ दे दिया है। बैंक कर्मचारियों की इस मांग की पृष्ठभूमि, इसके पीछे की सच्चाई और इसके प्रभाव को विस्तार से समझना जरूरी हो गया है।

क्या वास्तव में लागू हो रहा है 5 डे वर्किंग नियम?

मीडिया में आई रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक-RBI ने 1 अप्रैल से सप्ताह में 5 दिन काम और दो दिन छुट्टी की मंजूरी दे दी है। लेकिन जैसे ही यह खबर सामने आई, सरकार की ओर से सक्रियता दिखाई गई। PIB Fact Check ने तुरंत स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आधिकारिक आदेश RBI या सरकार की ओर से जारी नहीं हुआ है। इसका मतलब यह है कि अभी तक 5 डे वर्किंग की बात सिर्फ एक अफवाह है, जिस पर भरोसा करना ठीक नहीं है।

बैंक यूनियन ने किया दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान

हालांकि, अफवाहों से अलग, यूनियन का संघर्ष जारी है। United Forum of Bank Unions (UFBU) ने 24 और 25 मार्च 2025 को दो दिवसीय देशव्यापी बैंक हड़ताल का एलान कर दिया है। इसके चलते 22 मार्च (शनिवार) से 25 मार्च (सोमवार) तक बैंकिंग सेवाएं बाधित रहेंगी। चूंकि शनिवार और रविवार को पहले से ही अवकाश होता है, इसलिए यह चार दिनों तक ग्राहकों को प्रभावित कर सकता है।

क्यों जरूरी है 5 डे वर्किंग की मांग?

UFBU की मांगें केवल 5 डे वर्किंग तक सीमित नहीं हैं। यूनियन चाहती है कि सभी बैंक शाखाओं में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति हो ताकि ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सके और कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार न पड़े। साथ ही, अस्थायी कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाल ही में लागू की गई Performance Review और Productivity Linked Incentive (PLI) योजनाओं को वापस लेना, और कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।

यूनियन का तर्क है कि ये नई नीतियां न केवल नौकरी की स्थिरता को खतरे में डालती हैं, बल्कि कर्मचारियों के बीच भेदभाव को भी बढ़ावा देती हैं। साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्वायत्तता और निष्पक्षता भी इनसे प्रभावित होती है।

अन्य महत्वपूर्ण मांगें और मुद्दे

UFBU ने बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, श्रमिक और अधिकारी निदेशकों के पदों को भरने, और IBA के साथ लंबित मुद्दों के समाधान की भी मांग की है। यूनियन चाहती है कि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये की जाए और कर्मचारियों को दिए जाने वाले स्टाफ वेलफेयर बेनिफिट्स पर इनकम टैक्स न लगाया जाए। इन सभी मुद्दों के समाधान की मांगें बैंकिंग क्षेत्र को और मजबूत व कर्मचारी हितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही हैं।

Leave a Comment