
हरियाणा सरकार ने गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए Right To Education (RTE) अधिनियम के तहत Govt Action On Pvt School के रूप में एक बड़ी पहल की है। लेकिन इसके बावजूद, प्रदेश के हजारों निजी स्कूलों ने इस कानून को लागू करने में लापरवाही बरती है, जिसके चलते अब सरकार ने सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। शिक्षा विभाग के अनुसार, जिन स्कूलों ने आरक्षित सीटों की जानकारी नहीं दी है, उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
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3,124 निजी स्कूल RTE के अनुपालन में नाकाम, कार्रवाई की तैयारी
हरियाणा में कुल 10,701 निजी स्कूलों में से 3,124 स्कूलों ने RTE के अंतर्गत गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर शिक्षा विभाग को कोई विवरण नहीं सौंपा है। जबकि अधिनियम के तहत प्रत्येक निजी स्कूल को अपनी कुल सीटों में से 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। इस लापरवाही को देखते हुए सरकार ने अब ऐसे स्कूलों की मान्यता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
आवेदन की तारीख बढ़ी, मिला अंतिम मौका
शिक्षा विभाग ने स्कूलों को एक और अवसर देते हुए आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया है ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें। इससे पहले कई स्कूलों ने तकनीकी कारणों या जानबूझकर नियमों की अनदेखी करते हुए जानकारी देने में आनाकानी की थी। अब उन्हें अंतिम चेतावनी के रूप में यह मौका दिया गया है कि वे जल्द से जल्द RTE के अंतर्गत बच्चों के दाखिले और सीटों का विवरण साझा करें।
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शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का सख्त रुख
हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए साफ किया है कि RTE का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और जो स्कूल इस अधिकार से बच्चों को वंचित कर रहे हैं, वे किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जिन स्कूलों ने RTE के तहत दाखिले नहीं किए हैं, उनकी मान्यता सीधे तौर पर रद्द की जा सकती है।
HIV पीड़ित, युद्ध विधवाओं और SC/OBC बच्चों को फ्री एडमिशन
RTE के प्रावधानों के अनुसार, हरियाणा के निजी स्कूलों को HIV पीड़ित बच्चों, युद्ध में शहीद जवानों की विधवाओं के बच्चों, अनुसूचित जाति (SC), पिछड़ा वर्ग-A, और पिछड़ा वर्ग-B के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फ्री एडमिशन देना अनिवार्य है। यह कानून बच्चों को बिना किसी भेदभाव के समान शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन यदि स्कूल इन निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ेगा।
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समाज में शिक्षा का महत्व और सरकार की जिम्मेदारी
शिक्षा समाज की नींव होती है और इसे हर वर्ग तक पहुँचाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। Govt Action On Pvt School हरियाणा सरकार की उसी प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके तहत वह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। यह पहल न केवल गरीब बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रही है, बल्कि यह समाज में समानता और समावेश की भावना को भी बल देती है।
सरकार की पहल: शिक्षा में क्रांति की ओर कदम
हरियाणा सरकार की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति के संकेत देती है। निजी स्कूलों को अब यह समझना होगा कि RTE सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा का माध्यम है। सरकार का उद्देश्य शिक्षा को लाभ का साधन नहीं, बल्कि समाज के विकास का आधार बनाना है।