
हिमाचली टोपी पर मोनाल की कलगी लगाने की परंपरा अब भारी पड़ सकती है। वन्य प्राणी प्रभाग (Wildlife Division) द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार, मोनाल की कलगी या किसी अन्य संरक्षित पक्षी के पंखों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना कानूनन अपराध माना जाएगा। ऐसा करने पर दोषियों को तीन से सात साल तक की जेल हो सकती है। यह निर्णय हिमाचल प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण को लेकर उठाए गए सख्त कदमों का हिस्सा है, जिससे दुर्लभ प्रजातियों को बचाया जा सके।
वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई
वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल (Chief Wildlife Warden) अमिताभ गौतम द्वारा सभी संबंधित अधिकारियों को एक सख्त पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई व्यक्ति मोनाल (Monal) या जाजूराना (Western Tragopan) जैसे पक्षियों के पंखों को सार्वजनिक रूप से टोपी, सजावट या अन्य किसी भी माध्यम से प्रदर्शित करता है, तो उस पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। यह अधिनियम संरक्षित जीवों और उनके अंगों के संरक्षण के लिए बनाया गया है।
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मोनाल और जाजूराना की स्थिति
हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी मोनाल और विश्व के सबसे दुर्लभ पक्षियों में शामिल जाजूराना पहले ही संकटग्रस्त श्रेणी में गिने जाते हैं। इन पक्षियों के पंखों का उपयोग पारंपरिक टोपी और धार्मिक स्थलों की सजावट में किया जाता रहा है, लेकिन इनकी गिरती संख्या और शिकार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
मंदिरों में जाजूराना के पंख चढ़ाने पर भी रोक
जाजूराना के पंखों को मंदिरों में चढ़ाने की वर्षों पुरानी परंपरा पर भी अब ब्रेक लग गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कार्य भी अवैध की श्रेणी में आएगा। पवित्रता के नाम पर इन संरक्षित पक्षियों का उपयोग अब कानून के उल्लंघन के दायरे में आएगा और ऐसा करने वालों को भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
हिरण के सींग और अन्य वन्य अंगों का प्रदर्शन भी प्रतिबंधित
सिर्फ पक्षियों के पंख ही नहीं, बल्कि हिरण और अन्य वन्य जीवों के सींग या अंगों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करने और सोशल मीडिया (Social Media) पर पोस्ट करने पर भी रोक लगा दी गई है। वन्य प्राणी प्रभाग ने यह आदेश राज्यभर में लागू कर दिया है, जिससे ऐसे सभी कार्य अवैध माने जाएंगे।
सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से भी बचें
वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मोनाल की कलगी या अन्य प्रतिबंधित वन्य अंगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Instagram, या WhatsApp पर पोस्ट करना भी कानूनन अपराध होगा। डिजिटल माध्यमों पर किया गया ऐसा कोई भी कृत्य भी साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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संरक्षण के लिए सख्त कदम
राज्य सरकार का यह कदम वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। हिमाचल प्रदेश में पहले भी कई बार मोनाल की कलगी और अन्य अंगों की तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं। अब इस तरह के मामलों पर लगाम लगाने के लिए न केवल सख्त कानून लागू किए जा रहे हैं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाए जा रहे हैं।
परंपरा बनाम कानून
हालांकि मोनाल की कलगी को पहाड़ी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, लेकिन अब यह परंपरा वन्यजीव कानून के खिलाफ मानी जाएगी। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सांस्कृतिक पहचान की आड़ में प्रकृति से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। इसीलिए अब नागरिकों को सावधानी बरतनी होगी और इन दुर्लभ पक्षियों के पंखों के उपयोग से दूर रहना होगा।
जिम्मेदारी सभी की
वन विभाग ने आम जनता से अपील की है कि यदि उन्हें किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि की जानकारी मिले—जैसे मोनाल की कलगी की बिक्री, प्रदर्शन या सोशल मीडिया पर प्रचार—तो इसकी सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें। वन्यजीवों का संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।