
Smart City मिशन के अंतर्गत भारतीय शहरीकरण को मजबूती देने की दिशा में हरियाणा समेत नौ राज्यों ने एक नई पहल की शुरुआत की है। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य शहरी प्रशासन को अधिक व्यवस्थित, पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। इसके अंतर्गत राज्यों ने मेयर के लिए पांच साल का निश्चित कार्यकाल और नगर निकाय परिषद (Municipal Body Council) के गठन का निर्णय लिया है। यह कदम शहरी सुधारों को तेजी देगा और स्थानीय स्वशासन को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाएगा।
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Smart City मिशन के तहत हरियाणा सहित नौ राज्यों द्वारा उठाए गए ये कदम न केवल शहरों को स्मार्ट बनाएंगे बल्कि भारतीय शहरीकरण को एक नई दिशा देंगे। इस पहल के माध्यम से एक मजबूत, पारदर्शी और समावेशी शहरी शासन की नींव रखी जा रही है, जो भारत के भविष्य को अधिक स्थिर और टिकाऊ बनाएगा।
शहरी सुधार की दिशा में राज्यों की एकजुटता
हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य शहरी सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इन राज्यों ने या तो कानूनी संशोधन किए हैं या नए कानूनों को अपनाया है, ताकि शहरी प्रशासन की संरचना को अधिक मजबूत और क्रियाशील बनाया जा सके। यह कदम शहरी निवासियों के लिए बेहतर नागरिक सेवाओं की गारंटी देगा और विकास की रफ्तार को बढ़ाएगा।
मेयर का पांच वर्षीय कार्यकाल: एक बड़ा परिवर्तन
नए बदलावों के तहत मेयर को अब पांच साल का निश्चित कार्यकाल दिया जाएगा। यह फैसला मेयर की जवाबदेही, नीति-नियोजन में निरंतरता और प्रशासनिक स्थायित्व सुनिश्चित करेगा। पहले मेयर का कार्यकाल अस्थायी और राज्य सरकार की मर्जी पर निर्भर होता था, जिससे कई विकास योजनाएं अधर में लटक जाती थीं। अब यह स्थिति बदलेगी और मेयर एक स्थायी भूमिका में नीति क्रियान्वयन कर सकेंगे।
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नगर निकाय परिषद: नीति-निर्धारण में नया आयाम
नगर निकाय परिषदों के गठन का निर्णय इस पहल का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन परिषदों के माध्यम से स्थानीय निकायों में पारदर्शिता और जन भागीदारी बढ़ेगी। ये परिषदें मेयर और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर नीति निर्माण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया को अधिक सुदृढ़ और लोकतांत्रिक बनाएंगी। इससे शहरी योजनाएं जमीन पर उतरने में अधिक सफल रहेंगी।
शहरी योजनाओं के लिए व्यापक रणनीति
इन राज्यों ने कई क्षेत्रों में सुधार लाने की योजना बनाई है, जिसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
- लैंड पूलिंग (Land Pooling): इस नीति से शहरी भूमि का उपयोग अधिक व्यवस्थित और समुचित तरीके से किया जा सकेगा।
- यूजर चार्ज पॉलिसी (User Charges Policy): इस नीति के अंतर्गत शहरी सेवाओं का उपयोग करने वाले नागरिकों से सेवा शुल्क लिया जाएगा, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता और स्थायित्व में सुधार आएगा।
- जमीनी रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण: इससे संपत्ति संबंधी विवादों में कमी आएगी और शहरी भूमि की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
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नागरिकों को बेहतर शहरी सेवाओं की उम्मीद
यह शहरी सुधार रणनीति नागरिकों के लिए सीधे तौर पर फायदेमंद होगी। इससे उन्हें बेहतर सड़कें, जल आपूर्ति, सार्वजनिक परिवहन, कचरा प्रबंधन, डिजिटल सुविधाएं और अन्य बुनियादी सेवाएं प्राप्त होंगी। यह पहल Digital India और Renewable Energy जैसे अन्य राष्ट्रीय अभियानों से भी जुड़ी हुई है, जिससे हरित और स्मार्ट शहरों का निर्माण संभव होगा।
शहरी शासन में पारदर्शिता और भागीदारी
इन सुधारों का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य शहरी शासन को जनहितैषी और पारदर्शी बनाना है। नागरिक अब नीति निर्माण और योजना निर्माण की प्रक्रिया में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी कर सकेंगे। इससे न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी बल्कि लोगों का विश्वास भी सरकारी तंत्र में मजबूत होगा।